पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/८०

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जहांगीरनामा। बेटे मिरजा गाजीको बहुतसी फौजसे कन्धारको भेजा और अट्ठावन हजार रुपये खर्चके वास्ते दिये। - गुरु अर्जुनका वध। . ___ बादशाहने गुरु अर्जुन(१)को इस अपराधर्म कि जब :खुसरो लाहोरको जाता हुआ :गोविन्दवालमें उतरा था तो वह खुसरोसे मिला था और केसरका तिलक उसके माथे पर लगाया था, गोविन्द वाल(२)से बुलवाकर मरवा डाला और उसके घरबार और लड़के बाले मुरतिजाखांको प्रदान कर दिये। .....: :

  • अर्जुन गुरूके दो चेले राज और अम्बा दौलतखां खाजासराको

सहायतामें रहते थे और खुसरोके बलवेमें लूट मार करने लगे थे। बादशाहने राजको तो मरवा डाला और अम्बाको जो धनाढ्य था एक लाख १५ हजार रुपये लेकर छोड़ दिया। यह रुपये धर्म- शालाओंकी बांटे गये। . . . . .- ::-: . . .. परवेजका आना। . ... ..... २८ (आखिन सुदी १) गुरुवारको दो.पहर तीन घड़ी दिन चढ़े शाहजादा परवेज हाजिर हुआ। बादशाहने , मेहरबानीसे उसको छातीसे लगा कर माथा चूमा। बादशाही चिन्ह आफताब गौर तथा दस हजारी मनसब उसे दिया। दीवानों को उसे जागौर देनेका हुक्म दिया। मिरजा अलोवेगको काशमीरको हुकूमत दी। राणाको अधीनता। . . .. __परवेजके बुलाये जानेसे पहले राणाने आसिफखांसे कहलाया (१) अर्जुन गुरु नानक साहबके पांचवें उत्तराधिकारी थे। जब गुरु नानक सं० १५८५ में धाम प्राप्त हुए थे उनके पीछे गुरु अङ्गद जी हुए। अंगदजीको गद्दी पर अमरदासजी बैठे । अमरदासजीके उत्तराधिकारी गुरु रामदासजी हुए। उनके पीछे गुरु अर्जुनमल हुए। इनसे अकबर बादशाह मिला था। (२) गोविन्दवाल रावी नदी पर बसता है इसको गोंदा खत्री ने सं० १६०३ में बसाया था।