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शुद्धाशुद्धिपत्रम् ॥ अती कटती 4 १८० पाताले १६०० पतंजलि
1 दुखी थे। दुस् ॥
मनुष्य जाबाली जातिय
मनुष्यजा अनुष्य जया जालियां विधा इन्धियां श्लेष्मा
विचार
इन्द्रिय सुषमा
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हिजो
जीवनः हिजड़ा। जीविनः
इत्यतैः
अपने कन्या
कन्या के सा अधूत • छत
जगत् दिया गया