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पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/१६१

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सोहिल जैस गगन उपराहीं। मेघ घटा मोहिं देखि बिलाहीं॥

इसी प्रकार 'अगस्त' शब्द का उल्लेख भी वे गोरा बादल की प्रतिज्ञा में करते हैं—

उए अगस्त हस्ति जब गाजा। नीर घटे पर आवहिं राजा॥

यह तो हुआ शास्त्रीय ज्ञान। व्यवहारज्ञान भी जायसी का बहुत बड़ा-चढ़ा था। घोड़ों और भोजनों के अनेक भेद तो इन्होंने कहे ही हैं, पुराने समय के वस्त्रों के नाम भी 'पद्मावती रत्नसेन भेंट' के प्रसंग में बहुत से गिनाए हैं।

जायसी मुसलमान थे, इससे कुरान के वचनों का पूरा अभ्यास उन्हें होना ही चाहिए। पदमावत के आरंभ में ही चौपाई के ये दो चरण—

कीन्हेंसि प्रथम जोति परगासू। कीन्हेंसि तेहि पिरीत कैलासु॥

कुरान की एक आयत के अनुसार हैं जिसका मतलब है—अगर न पैदा करता मैं तुझको, न पैदा करता मैं स्वर्ग को।' इसके अतिरिक्त ये पक्तियाँ भी कुरान के भाव को लिए हुए हैं—

(१) सबै नास्ति वह अहथिर ऐस साज जेहि केर।
(२) ना ओहि पूत, न पिता न माता।
(३) 'अति अपार करता कर करना' से लेकर कई चौपाइयों तक।
(४) 'दूसर ठावँ दई ओहि लिखे।'

अभिप्राय यह है कि खुदा ने अपने नाम के बाद पैगंबर का ही नाम रखा, जैसा कि मुसलमानों के कलमा में है।

इसलाम धर्म की और अनेक बातों का समावेश पदमावत और अखरावट में हम पाते हैं। सिद्धांतों के प्रसंग में हम कह आए हैं कि शामी पैगंबरी मतों के अनुसार कयामत या प्रलय के दिन ही सब मनुष्यों के कर्मों का विचार होगा। मुसलमानों विश्वास है कि भले और बुरे कर्मों के लेख की बही खुदा के सामने एक तराजू में तोली जायगी और वह तराजू जिब्राइल फरिश्ते के हाथ में होगा। सबूत के लिये सब अंग और इद्रियाँ अपने द्वारा किए हुए कर्मों की साख देंगी। उस समय मुहम्मद साहब उन लोगों की ओर से प्रार्थना करेंगे जो उनपर ईमान लाए होंगे। इन बातों का उल्लेख पदमावत में स्पष्ट शब्दों में है:

गुन अवगुन विधि पूछब, होइहि लेख औ जोख।
वै विनउब आगे होई, करब जगत कर मोख॥

हाथ पाव, सरवन और आँखी। ए सब उहाँ भरहि मिलि साखी॥

स्वर्ग के रास्ते में एक पुल पड़ता है जिसे 'पुले सरात' कहते हैं। पुल के नीचे घोर अंधकारपूर्ण नरक है। पुण्यात्माओं के लिये वह पुल खूब लंबी चौड़ो सड़क हो जाता है पर पापियों के लिये तलवार की धार की तरह पतला हो जाता है। पुल का उल्लेख पदमावत में तो बिना नाम दिए और अखरावट में नाम देकर स्पष्ट रूप में हुआ है—

खाड़ै चाहि पैनि बहुताई। बार चाहि ताकर पतराई॥

पुराने पैगंबर मूसा के किताब में आदम के स्वर्ग से निकाले जाने का कारण