पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२३४

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!! अनननास ज्ञानकोष (अ)२११ अनननास नामक नाटक लिखा है। आनन्द वर्धनके तथा ( European jackfruit ) हैं। योरप, एशिया, उसके टीकाकारके ग्रंथोमें इसका उल्लेख पाया अरब, मिश्रकी पुरानी भाषामें इसका नाम ही नहीं जाता है ( पिशेल Z D. M. G. 39. P. 315) | है। यह वृक्ष आधुनिक होने के कारण संस्कृत आनन्दवर्धनका काल नवीं शताब्दीका उत्तरार्ध भाषामें भी इसका नाम नहीं है। समझा जाता है। अतः यह अनुमान किया जा - इतिहास--श्रोविएडोने ( Oriedo) लिखा है सकता है कि अनङ्ग हर्ष इससे पूर्वमें अवश्य हुआ कि वेस्टइण्डीज़ द्वीप, और अमेरिका खण्डमें होगा। इसने रत्नावली का अाधार कई जगह पर वृक्ष अधिक पाये जाते हैं। क्रिस्टोफर अकोस्टा लिया है। अतः यह स्पष्ट है कि इसका नाटक (Christopher-Acorta) ने १६०५ई में ही लिख वो शतब्दीसे : शताब्दीके मध्यसें रचा गया रखा है कि हिन्दुस्थानमें अनननास बहुत पैदा होगा। तापस वत्सराजकी कथा महाकवि भासके होता है। मार्कग्राफ (Marcgral) और (Herna- स्वप्नवासवदत्ताके समानही है। हाँ, इसके नाटक ndez ) हरनन्डेजने वर्णन किया है कि ब्राज़ील में कुछ नवीन घटनाओं का उल्लेख अवश्य है Haitr) हायटी और मेक्सिकोमै अनननास संक्षिप्तमें उनका उल्लेख नीचे दिया जाता है। पैदा होता है। १६,१७ तथा १४ वीं शताब्दी यासवदत्ताकी मृत्युके अनन्तर उदयन तपखी के वनस्पति शास्त्रज्ञोंने इसका वर्णन करके चित्र हो जाता है। आगे चलकर यौगन्धरायणके उद- भी निकाले हैं। बोइम ( Borm ) का कथन है, यनका चित्र देखते ही पद्मावती: उसपर अनुरक्त कि अनननास हिन्दुस्थान ही से चीनमें पहुंचा। हो जाती है और उसीके प्रेममें तपस्विनी बन जाती अकोस्टाको तरह दृडिसका भी कथन है कि पुर्त- है। वासवदत्ता तथा उदयनका संवाद इसमें गीज़ लोगोंने अनननासको हिन्दुस्थानमें लगाया नहीं दिया हुआ । इसमें दोनोका साक्षात् था। वह इतने शीघ्रतासे फैला कि रंफिस प्रयागमें मृत्युके समय होता है और तभी रूमरवत ( Rumphius ) ने तो समझा कि यह एतद्देशीय के मृत्युका समाचार भी प्राप्त होता है। ही हैं। लिन्सकोटन ( Linshcotan) पिरार्ड .. अनननास-इसका वृक्ष केवड़ेके वृक्षके | (Pyrard ), बरनिअर ( Bernier ) और हर- समान होता है। इसके पत्ते तीन, साढ़े तीन फीट बट ( Herbert ) इत्यादि मध्यकालीन यात्रियोंने लम्बे तथा दो इञ्च चौड़े होते हैं। इसके पत्ते इसका उल्लेख किया है। प्रायः हलके हरे रङ्गके होते हैं । परन्तु कभी कभी जहाँगीरने अपने आत्मचरित्रमें ऐसा उल्लेख रङ्ग-बिरंगे भी दृष्टिगोचर होते हैं । इस पेड़का तना किया है कि अनननास हिन्दुस्थान में परदेशसे बहुत ही नाटा रहता है। इस वृक्षको रचना आया, तथापि बाबरके फल की सूची में अनन्नास ध्यान देने योग्य होती है। जब वृक्ष फल लगने का नाम नहीं हैं। योग्य हो जाती है तब उसमेंसे. एक डंडी निक अनननासकी खेती--ऐसा कहा जाता है कि लती है । उस डंडीपर घने फूल लगते हैं। प्रत्येक ! उष्ण कटिबन्धके अननासोंकी अपेक्षा इंगलैण्डके फूलका स्वतन्त्र फल नहीं होता किन्तु सब फूल | उष्णगृहमें तैयार किये गये अनननास रुचिकर मिलकर एक फल होता है। होते हैं। योरपमें अनननासकी खेती प्रथम लेडेन यह वृक्ष उष्ण प्रदेशमें होता है। पहले पहल ( Leyden ) में १६५० ई. में हुई। इंग्लैण्डमें यह ब्राज़ील देशमें पाया गया था। अमेरिकाका जो अनननास पहले पहल तय्यार हुआ था वह पता लगते ही ये वृक्ष जगत भरमें फैल गये और चार्लस द्वितीयको नज़र किया गया (१६७२) था। उष्णकटिबन्धमे उनकी वृद्धी शीघ्र होने लगी। रेल, जहाज इत्यादि अाधुनिक साधनोंसे पाइनशङ्क ( Pine-cone) और इसमें बहुत कुछ व्यापार बड़ो शीघ्रतासे होता है, और एक स्थान साम्य होनेके कारण स्पेनके लोग इसे पिनस से दूसरे स्थान पर बड़ी शीघ्रतासे वस्तु पहुँच ( Pinus) कहते थे ब्राज़ीलियन "ननस' नामसे । जाती है, इसलिये वेस्टइण्डीज. मदिरा और कनरी और पुर्तगीज. इसे अननस कहने लगे और आधु- टापूओमे से जितने चाहे उतने अनननास यूरोप निक समयके नाम इसी आधार पर पड़े हैं। और अमेरिका खण्डमे भेजे जाते हैं। इस कारण हिन्दुस्थानमें इसको, अननस, अनननास, अना. इंग्लैण्डके उष्णतागृह अनननास तैयार करना रस, अनाशाप, नानट तथा अनस कहते हैं। अन बन्द होकर उसका मूल्य कम होगया है। नासके बिलकुल आधुनिक नाम फॉरेन्स्कुपाईन् योरप तथा अमेरिकाके उष्ण कटिबन्धों में (- Foreign serew. pine ), युरोपियन जैकफूट आजकल लोगोंका ध्यान अनननासकी खेती तथा