पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१४१

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भर जाता पा पयामि मन वम रीफ मामी यो वहा कभी नहीं दया । गौरी पा T छोटा-गा लहरानी था जिममो गर्दा बाटजनेसमा निवासी पुरमन य गमय प्यार परत गीरी, जापापी मुदर थी, अपना अधिकतर समय गरा म गुभारनी पी। काटज का सम्मानित भाग चन्दा मोर उसके दो साथिया के पास था। य दीना भी एक्टर थे लेकिन होगे नहीं थे। एक सई या, जिमना फिल्मी नाम रजीनकुमार था 1 पडदा वहा परता था कि मईद रादेज उसी गधे में नाम म प्रसिद्ध है, मायया उसका नाम 'रजीदा बाटे ही था। वह पापी सुगर और पम गा पा । चडढा कभी-अभी उस मछुमा पहा करता था क्यानि वह हर काम यहुत धीरे धीरे करता था। दूमर एक्टर या नाम मासूम नहीं था, लरिन सब उम गरीवनमान महत थे । वह हैदराबाद के एक साते-पीत धरान स सम्बच रमता था और एक्टिग के शोर म यहा चला पाया था। तनख्वाह ढाई सौ रुपय माहार मुक्रर थी, लेकिन उमे नौवर हुए एक वरस हो गया था, और इस बीच उसन वल एक वार ढाई सौ रपय एडवास के रूप म लिए थे वह भी चडढा के लिए जिस एक सूरुवार पान की अदायगी करनी थी। स्ट- पराग किस्म की भाषा में फिल्मी कहा िया लिखना उनका गल था, और कभी-कभी बह शामरी भी कर लिया करता था। पाटन का हर आदमी उसका ऋणी था। गील और अकील दो भाई थे। दोना किसी असिस्टैण्ट डायरेक्टर के असिस्टैण्ट 4 और सबकी तरह अपनी पित्म कम्पनी बनाने के लिए पैस जुटान के चक्कर म थे। नीन बडे यानी चड्ढा, सईद और गरीवनवाज शोरी का बहुत सपाल रखत थे, लेकिन तीनो कभी इकठे गरेज में नहीं जाते थे। हालचाल पूछने का उनका कोई समय भी निश्चित न था । तीना जब काटज के बने कमर म इक्टठे होत तो उनमे से एक उठकर गरज मे चला जाता और कुछ दर यहा वैठकर पीरी से घरेलू मामला पर बात न करता रहता। वाकी दो अपने अपने काम में जो असिस्टैण्ट विस्म 140/टाबा टेकसिंह