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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२२३

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किया कि उसे अपने जीवन का सबसे बडा धचका पहुंचा है। उसकी मूर्छ जो भयावह रूप से ऊपर का उठी हुई थी, अब कुछ झुक सी गई थी। चीनी के होटल में उससे मेरी मुलाकात हुई। उसके कपड़े, जो हमेशा उजले होते थे, मैले थे। मैंने उसस कत्ल के सम्बध मे कोई बात न की लेकिन उसने स्वय ही कहा, 'विम्टो सार । मुझे इस बात का अफ्मास है कि साला देर से मरा–छुरी मारने में मुझसे चूक हो गई हाथ टेढा पडा- लेकिन वह भी उस साले का रसूर था-एकदम मुड गया-~इस वजह से सारा मामला वडम हो गया- -लेक्नि मर गया-जरा तकलीफ के साथ, जिसका मुझे अफ्मोस है।' आप स्वय सोच सकत है कि यह सुनकर मेरी प्रतिक्रिया क्या हुई होगी। अर्थात उसे यदि अफमोस था तो केवल इस बात का वि मरने वाले को जरा तकलीफ हुई थी। मुक्दमा चलना था-~और ममद भाई उसस बहुत घबराता था ।। उसने अपने जीवन म भी कहचरी की शक्ल तक न देखी थी। न जान उसन इसस पहले भी कत्ल किए थे या नहीं, लेकिन जहा तक मुझे पता है वह मजिस्ट्रेट, वकील और गवाह के वार मे कुछ नही जानता था, इस लिए कि इन लोगा म उसका कभी सरोकार नहीं पड़ा था। वह बहुत चितित था-पुलिस ने जब केस परा करना चाहा और तारीस नियत हो गई तो ममद भाई बहुत परवान हो गया। अदालत म मजिस्ट्रेट के सामन कसे हाजिर हुअा जाता है, इस बार म उम कुछ मालूम नही था। बार बार अपनी कटीली मूछो पर उगलिया फेरता था और मुझम कहता था- विम्टा साहर । मैं मर जाऊगा, पर चहरी म नहीं जाऊगा~साली मालूम नहीं कैसी जगह है ?' अरव गली म उसके कई मित्र थे । उहोंने उस ढाढस वघाया कि मामला सगीन नहीं है । कोई गवाह मौजूद नही, एक केवल उनकी मूर्खे है जो मजिस्ट्रेट के दिल म उसय विरुद्ध कोई विरोधी भाव उत्प न कर सरती हैं। जमा वि मैं दमम पहल कह चुका हूँ, उसी केवल मूछ ही थी जो उमको भयावह बनाती था--यदि यह न होतो ता वह विसी पहलू सभी 220/टोगा टेवमिह