पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/३४

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करीव आखें बडी बडी, काले वाल , दाहिने गाल पर मोटा- सा तिल मेरी इकलौती लड़की है, ढूढ लामो खुदा तुम्हारा भला करेगा । ।

रजाकार ( स्वयसेवक ) नौजवानो न बडी हमदर्दी के साथ बूढे सिरा जुद्दीन को विश्वास दिलाया कि अगर उसकी बेरी जिदा हुई तो दो चार दिन में ही उसके पास पहुच जाएगी । ___ पाठो नौजवानो ने कोशिश की , जान हथेली पर रखकर वे अमतसर गए । कई औरतो, कई मर्दो और कई बच्चा को निकाल निकालकर उहे सुरक्षित स्थानो पर पहुचाया, लेकिन दस दिन हो गए सकीना उह वही न मिली ।

एक दिन इसी सेवाकाय के सिलसिले मे तारी पर अमतमर जा रहे थे कि छहरटे के पास सडक के किनारे उह एक लडकी दिखाई दी । सारी की आवाज सुनकर वह विदकी और उसन सरपट भागना शुरू कर दिया । रजाकारो ने भी तुरन लारी रोकी और उतरकर सबके सब उसके पीछे भागे । एक खेत मे उहान उस लडकी को जा पक्डा । देखा तो बहुत खूबसूरत थी , दाहिने गाल पर एक मोटा सा तिल भी था । एक नौजवान ने उसस कहा, घबरानो नही, क्या तुम्हारा नाम सकीना है । ____ लडकी का रग पीला पड़ गया और उसने कोई जवाब न दिया । फिर जब दारी-बारी सारे नौजवानों ने उसे दम दिलासा दिया तो उसको धब राहट कुछ दूर हो गई और उसने मान लिया कि उसका नाम सकीना है और वह सिराजुद्दीन की बटी है ।

प्रा० रजागार नौजवानान हर तरह से सकीना की दिलजोई की । उसे खाना खिलाया , दूध पिलाया और लारी मे बिठा लिया । एक ने अपना कोट उतारकर उसे दे दिया क्योकि दुपट्टा न होने के कारण वह वडी उलझन महसूस कर रही थी और बार बार बातो में अपने सीने को हापने की असफल कोशिश कर रही थी ।

कई दिन गुजर गए - सिराजुद्दीन पो सकीना की कोई खवर न मिली । वह दिन - भर यहा वहा कम्पा और दफ्तरो के चक्कर काटता रहा

खोल दो / 33