पृष्ठ:ठाकुर-ठसक.djvu/९०

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( ११ ) बरही मोर। बिके-बिकने से। बरावने हैं-बचाना है, बरका जाना। बिजुरी बिजुली । बरियानीबलवती हो गई है। बितर वितरण करने का काम । बरै बरती है। बिरले कोई कोई, बहुतों में कोई एक बलैया लेत-वात्सल्य दिखाती है। बिरानो पराया, दूसरे का। बहना=बहन करना, चलाना, बिलंद-ऊँचे, बड़े। निर्वाह करना। बिवाई-पैर का एक रोग, जिसमें बहराती-बहकी हुई। एंड़ियां फट जाती हैं। बाइरे-बादी बढ़ानेवाले। बिसवास प्रतीत, विश्वास। बाँकी-विचित्र, अनोखी। बिसारम्भुला कर। बांको टेढ़ा। बीदुरैन-बिदुर की स्त्री। बांची-कही, पढ़ी, पढ़कर सुनाई। बीधि गई-बिद्ध हो गई,लग गई। बाजे बाजेकोई कोई। धीर-(स्त्रियों का संबोधन), भाई। बाना बाँधना-जिम्मे लेना। बीसक तीसकबीस तीस । धानिक-रूप, बननि । बीस बिसैनिश्चय, (बीसो बिस्वा) बनो विरद । परिपूर्ण । बाम-स्त्री। बूझे पूछने से। बार-देरी। बेंदी-(सं०विन्दु) टीका। बार बीच-थोड़ी ही देर में, कभी, बेनी-चोटी। किसी समय। बेनु (वणु) बाँसुरी। बारी-खेत के चारों ओर की आड़। बेबहा-बहुत अधिक । बासस्थान। बैकलानो-पागल हो जाना। बासन-पात्र। बैस (बयस) अवस्था। खाहको निबाह कहे की लाज ! पैहर वायु । बाहि गहे की आश्रय देने का । बोदर-छड़ी। बाँह बसना आश्रित होना। बोधना-सांत्वना देना।