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पृष्ठ:तितली.djvu/२४

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करने की किसको पड़ी है। शैला ने जैसे चौंककर कहा तो क्या स्त्रियां अपने लिए कुछ भी नहीं कर सकतीं? उन्हें अपने लिए सोचने का अधिकार भी नहीं है? बहुत करोगी मिस शैला, तो यही कि किसी को अपने काम का बना लोगी। जैसा सब जगह हम लोगों की जाति किया करती है। पर उसमें दुख होगा कि सुख, इसका निपटारा तो वही मालिक कर सकता है। शैला न जाने कितनी बातें सोचती हुई चुप हो गई। वह केवल इस व्यंग्य पर विचार करती हुई चलने लगी। उत्तर देने के लिए उसका मन बेचैन था; पर अनवरी को उत्तर देने में उसे बहुत-सी बातें कहनी पड़ेंगी। वह क्या सब कहने लायक हैं? और यह प्रश्न भी उसके मन में आने लगा कि अनवरी कुछ अभिप्राय रखकर तो बात नहीं कर रही है। उसको भारतीय वायुमंडल का पूरा ज्ञान नहीं था। उसने देखा था केवल इन्द्रदेव को, जिसमें श्रद्धा और स्नेह का ही आभास मिला था। संदेह का विकृत चित्र उसके सामने उपस्थित करके अपने मन में अनवरी क्या सोच रही है, यही धीरे-धीरे विचारती हुई वह छावनी की ओर लौटने लगी। ___ अनवरी ने सौहार्द बढ़ाने के लिए कुछ दूसरा प्रसंग छेड़ना चाहा; किंतु वह सौजन्य के अनुरोध से संक्षिप्त उत्तर मात्र देती हुई छावनी पर पहुंची। अभी इन्द्रदेव का दरबार लगा हआ था। आरामकी पर लेटे हए वह कोई कागज देख रहे थे। एक बड़ी-सी दरी बिछी थी। उस पर कुछ किसान बैठे थे। इन लोगों के जाते ही दो कुर्सियां और आ गईं। पर इन्द्रदेव ने अपने तहसीलदार से कहा—इस पोखरी का झगड़ा बिना पहले का कागज देखे समझ में नहीं आएगा। इसे दूसरे दिन के लिए रखिए। तहसीलदार इन्द्रदेव के बाप के साथ काम कर चुका था। वह इन्द्रदेव से काम लेना चाहता था। उसने कहा—लेकिन दो-एक कागज तो आज ही देख लीजिए, उनकी बेदखली जल्दी होनी चाहिए। __अच्छा, मैं चाय पीकर अभी आता हूं।—कहकर इन्द्रदेव शैला और अनवरी के साथ कमरे में चले गए। बुड्ढे से अब न रहा गया। उसने कहा, तहसीलदार साहब, मैं कल से यहां बैठा हूं। मुझे क्यों तंग किया जा रहा है! तहसीलदार ने चश्मे के भीतर से आंखें तरेरते हुए कहा—रामनाथ हो न? तंग किया जा रहा है! हूं! बैठो अभी। दस बीघे की जोत बिना लगान दिए हड़प किए बैठे हो और कहते हो, मुझे तंग किया जा रहा है। क्या कहा? दस बीघे! अरे तहसीलदार साहब, क्या अब जंगल-परती में भी बैठने न दोगे? और वह तो न जाने कब से कृष्णार्पण लगी हुई बनजरिया है! वही तो बची है, और तो सब आप लोगों के पेट में चला गया। क्या उसे भी छीनना चाहते हो? तहसीलदार चुपचाप उसे घूरने लगा। ___ इन्द्रदेव शैला के साथ बाहर चले आए। अनवरी के लिए देर से माधुरी की भेजी हुई लौंडी खड़ी थी। वह उसके साथ छोटी कोठी में चली गई। इन्द्रदेव ने बुड्ढे को देखकर तहसीलदार को संकेत किया। तहसीलदार अभी बुड्ढे रामनाथ की बात नहीं छेड़ना चाहता था। किंतु इन्द्रदेव के संकेत से उसे कहना ही पड़ा—इसका नाम रामनाथ है। यह