पृष्ठ:तितली.djvu/४२

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कभी-कभी मछली पर बंसी डाल देता हूं। और कौन शिकार करूं? बहन तुम्हारी यहीं रहती है? हां मेम साहब, उसी ने मुझे पाला है—कहते हुए मधुबन ने कहा—देखिए, यह गड्ढा है। संभलकर आइए। अब हम लोग कच्ची सड़क पर आ गए हैं। __ अच्छा मधुबन। तुमने यह तो कहा ही नहीं कि तितली कहां है, दिखाई नहीं पड़ी। उस दिन जब रामनाथ उसको लिवा ले गया, तब से तो उसका पता न लगा। उसका क्या हाल सब कठोर हैं, निर्दयी हैं—मन-ही-मन कहते हुए अन्यमनस्क भाव से मधुबन ने अपना कंधा हिला दिया? क्या मधुबन! कहते क्यों नहीं। __उसी दिन से वह बेचारी पड़ी है। उधर सुना है कि तहसीलदार ने बेदखली कराने का पूरा प्रबंध कर लिया है! मेम साहब, गरीब की कोई सुनता है? आप ही कहिए न! किसी ब्याह में रमुआ ने दस रुपए लिये। वह हल चलाता मर गया। जिसका ब्याह हुआ उस दस रुपए से, वह भी उन्हीं रुपयों में हल चलाने लगा। उसके भी लड़के यदि हल चलाने के डर से घबराकर कलकत्ता भाग जाएं, तो इसमें बाबाजी का क्या दोष है? कुछ नहीं शैला ने कहा। फिर आप तो जानती नहीं। यह तहसीलदार पहले मेरे यहां काम करता था। गोदाम वाले साहब से, एक बात पर उकसाकर, मेरे पिताजी को लड़ा दिया। मुकदमे में जब मेरा सब साफ हो गया, तो जाकर यह धामपुर की छावनी में नौकरी करने लगा। इसको दानव की तरह लड़ने का चसका है, सो भी अदालत का ही। नहीं तो किसी एक दिन इसकी लड़ने की साध मिटा देता। मैं किसी दिन इसकी नस तोड़ दूं, तो मुझे चैन मिले। इसके कलेजे में कतरनी-से कीड़े दिन-रात कलबलाया करते हैं। यह तहसीलदार तुम्हारे यहां... . अरे यह बात मैं क्रोध में कह गया मेम साहब; जो समय बीत गया, उसे सोच कर क्या करूंगा। अब तो मैं एक साधारण किसान हूं। शेरकोट का... ___चलते-चलते शैला ने कहा—क्या कहा, शेरकोट न! हां-तहसीलदार ने कहा था कि शेरकोट ही बैंक बनाने के लिए अच्छा स्थान है! कहां है वह? मधुबन गुर्रा उठा भूखे भेड़िए की तरह। उस ठंडी रात में उसे अपना क्रोध दमन करने से पसीना हो आया। बोला नहीं। शैला भी सामने एक ऊंचा-सा टीला देखकर अन्यमनस्क हो गई जो चांदनी रात में रहस्य के स्तूप-सा उदास बैठा था। रामजस सहसा पीछे से चिल्ला उठा—अब तो पहुंच गए मधुबन भइया! मधुबन ने गंभीरता से कहा हूं। शैला चुपचाप टूटी हुई सीढ़ियों से चढ़ने लगी। उस नीरस रजनी में पुरानी कोठी, बहुत दिनों के बाद तीन नए आगंतुकों को देखकर, जैसे व्यंग्य की हंसी हंसने लगी। अभी ये लोग दालान में पहुंचने भी न पाए थे कि एक सियार उसमें से निकल कर भागा। हां, भयभीत मनुष्य पहले ही आक्रमण करता है। रामजस ने डरकर उस पर डंडा चलाया। किंतु