पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इतिहास में जुलू सबसे ज्यादा ऊँचा-पूरा और खूबसूरत माना जा सकता है। खूबसूरत विशेषण का प्रयोग मैंने जानबूझ कर किया है। हम लोग गोरे चमड़े और तीखी नाक पर खूबसूरती का आरोप करते हैं। इस वहम जरा देर के लिए ताक पर रख दें, तो हमें यह नं प्रतीत हो कि जुलू की सृष्टि करके ब्रह्मा ने किसी बात में कमी रक्खी है। स्त्री-पुरुष दोनो ऊँचे होते है। और ऊँचाई के ही लिहाज से उनकी छाती विशाल होती है । सारे शरीर की रगें सुडौल और बहुत मजबूत होती हैं उनकी पिडली और मुजायें मांसल और गोलाकार दिखायी देती हैं। स्त्री या पुरुष मुककर या कुबड़ निकालकर चलते हुए शायद ही दिखायो । हाँ, होंठ अलवत्त बड़े और मोटे होते हैं । परन्तु सारे शरीर के आकार को देखते हुए मैं तो उन्हें जरा भी बे-डौल न कहूँगा। आँखें गोल और आवदार होती हैं। नाक चिपटो और मोटे मुंह को फबने लायक हो मोटी होती है। सिर के धुंघराले बान शीशम-जसे काले और चमकीले बदन पर खिन उठते हैं। यदि हम किसी जुलू से पूछे कि दक्षिण अफ्रीका में रहनेवाली जातियो में तुम सबसे अधिक सुरुष किसे मानते हो तो वह अपनी ही जाति का नाम पेश करेगा और इससे मुझे उसका जरा भी अज्ञान नहीं दिखायी देता। यूरोप में सैंबो वगैरह जिन साधनो का प्रयोग अपने शागिर्दो के पाहु, छाती, इत्यादि अवयवों को सुदृढ़ बनाने के लिए करते हैं उनके प्रयोग के बिना ही कुदरती तौर पर इस जाति के अग-प्रत्यंग गठीले और सुडौल दिखायी देते हैं। कुदरत का नियम है कि जो लोग भूमध्य रेखा के नजदीक रहते हैं उनका चमड़ा काला ही होना चाहिए। और यदि हम यह माने कि कुदरत जो-जो नमूने तैयार करती है उनमें सुन्दरता जरूर