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जनरल स्मट्स का विश्वासधात (१) आन्तरिक मुमीषतों का दर्शन तोपाठक कुछ-कुछ कर हीचुके। उसमे प्रायः मुझे 'अपनी श्त्म-कथा ही देनी पड़ी । पर यह
अनिधार्य था । क्योंकि सत्याग्रह से सम्बन्ध रखने वाली पुरीमुसीबत ही सत्याप्रहियों की मुसीबर्त भी वन गई'। अब [म फिर बाहरी मुसीवर्ता का अवलोकन कर। इस प्रकरण का ग्ोर्पक लिखते हुए मुझे वड़ी लब्जा मालूम हुई भर, यह
प्रध्याय लिखते हुए भी मुझे उतनी ही शर्म साद्म होरही है। स्यॉकि इसमें महुष्य स्वभाव की वक्ता का वर्णन है। जनरल मदस सन् १६०८ मे भी फम से कम्र दक्षिण अक्रिका में तो
बबसे अधिक होशियार नेता माने जाते थेऔर आज अगर
पप्तार मेंनहीं, तोकम्त सेकम ब्रिटिश साम्राज्य मे तो ज़रूर ही दर ऊँचे दर्ज के कार्यकुशल पुरुष गिने जाते हूँ। मुझे इसमे जरा प्रीसन्देह नहीं कि उनकी शक्ति बहुत बढ़ी हुई है। वह जितने
छशल वकील हैं,उतने ही कुशल्न सेना-नायक ह और उतने ही एल राज्य-प्रबन्धक पुरुष भी वह है। दक्षिण अफ्रिफा मे कई
'ज्य-प्रबंधक आये ओर चक्ते गये।पर १६०७ से आज तक इक्षिण अफ्रिका के शासन सूत्रोंफो उन्होंने अपने हाथों ही में