बिमला ने कहा "जाना, दुर्गेश ने आपलोगों से मित्रता न करके मोगलों से मेल किया है इस लिए तुमलोग दुर्ग को लेने आए हो किन्तु तुमतो अकेले हो"
उस०| अभी तो मैं अकेला हूं।
बिमला ने कहा तभी मारे डरके हमको नहीं छोड़ते हो।
अपमान सूचक बचन सुन कर सम्भव है कि पठान मार्ग छोड़ दे यह सोच कर बिमला ने यह बात कही।
उसमानं ने हंस के कहा प्यारी मैं केवल तेरी कटाक्ष का भय करता हूं किन्तु यह चाहता हूं कि—
बिमला उसके मुंह कि तरफ देखने लगी।
"तुम्हारे पास जो ताली है वह हमको देदो हम तुम्हारे शरीर छूने में संकोच करंते हैं।
बिमला ने मुसकिरा कर कहा "अंगस्पर्श तो दूर रहे अभी तो तुम हमको नीचे डाले देते थे।
सेनापति ने कहा समय पर सब काम करना होता है, अभी कोई काम पड़ै तो देखो।
बिमला ने देखा कि ताली की इसको बड़ी आवश्यकता है यदि ऐसे न दूं तो छीन कर ले लेगा। दूसरा कोई ऐसे अवसर पर यथाशक्य ताली को फेंक देता पर बिमला ने कालयापन की आशा से कहा—
'महाशय! यदि मैं ताली न दूं तो आप क्या करेंगे?" और ताली हाथ में ले ली।
उसमान की दृष्टि उसी ओर थी, उसने कहा छीन कर ले लूंगा।
अच्छा छीनिए कह कर बिमला ने चाहा कि कुंजी अमराई की ओर फेक दें किन्तु सेनापति ने झपट कर उसका