पृष्ठ:दृश्य-दर्शन.djvu/१७

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जयपुर।

जयपुर बड़ा सुन्दर शहर है। ऐसा सुन्दर और क़ायदे से बसा हुआ और कोई शहर हिन्दुस्तान में नहीं। उसका संक्षिप्त हाल लिखने के पहले जयपुर राज्य के विषय में दो चार बातें लिख देना अच्छा होगा।

जयपुर कछवाहों का राज्य है। कछवाहे अपनेको रामचन्द्र के पुत्र कुश का वंशज बतलाते हैं। कछवाहों में धोलाराय नाम के एक प्रतापी राजा हुए। उन्होंने जयपुर-प्रान्त को मीनों और बिन-गूजरों से छीन कर, ९६७ ईसवी में, इस राज्य की नीव डाली। इसे ढूंढार भी कहते हैं। इसकी पहली राजधानी अम्बर में थी। जयपुर से अम्बर सिर्फ ५ मील है। वह इस समय उजाड़ है। तथापि कई सौ वर्ष तक जयपुर की राजधानी रहने के कारण वहां अब भी कई इमारतें देखने लायक हैं। अम्बर के क़िले में यद्यपि अब कोई नहीं रहता तथापि उसकी इमारतें उसके पूर्व वैभव की अब तक गवाही दे रही हैं। वहां का महल देखने लायक है। जयमन्दिर नामक इमारत में आगरे के ताजमहल की तरह सङ्गमरमर का काम है। उसकी छत में आईने