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दृश्य-दर्शन


मुसलमानों का राज्य होने पर पहली इमारत कुतबुद्दीन ऐबक ने १२०६ ईसवी में बनाई। वह कुतुबमीनार के नाम से प्रसिद्ध है। उसके अनन्तर अलाउद्दीन ने भी कसरे-हज़र-सितून अर्थात् हज़ार खम्भों का एक महल बनाया, जिसके चिन्ह शाहपुर के उजड़े हुए किले में अब तक पाये जाते हैं। उसके अनन्तर गयासुद्दीन तुग़लक ने तुगलकाबाद में एक क़िला बनवाया। उसके लड़के महम्मद ने आदिलाबाद नामक एक उत्तम गढ़ निर्माण कराया। फीरोज़ तुग़लक ने १३५१ से १३८८ ईसवी के बीच अनेक इमारतें बनवाईं। एक नहर उसने यमुना से निकलवाई और उसे अपनी नई राजधानी फीरोज़ाबाद तक वह ले गया। यह नहर अब तक वर्त्तमान है। इसी फ़ीरोज़ तुग़लक ने फ़ीरोज़ाबाद को बसाया और कुशके-फीरोज़ाबाद और कुशके-शिकार नाम के दो महल भी उसने बनवाये। १५३३ ईसवी में हुमायूं ने इन्द्रप्रस्थ अर्थात् पुराने किले की मरम्मत कराई और उस का नाम दीनपनाह रक्खा। १५४० इसवी में शेरशाह ने उसी का नाम शेरगढ़ रक्खा। इसी शेरशाह ने क़िला कोहना मसजिद नाम की एक मसजिद और शेरमहल नाम का एक महल बनवाया। १५४६ ईसवी में शेरशाह के लड़के सलीम शाह ने सलीमगढ़ का क़िला बनवाया।

जिस देहली को हम आज देख रहे हैं और जिसे शाहजहानाबाद भी कहते हैं वह, १६३८ ईसवी के लगभग, शाहजहां की बसाई हुई है। वहां का प्रसिद्ध किला और प्रसिद्ध बादशाही महल जो उसी क़िले के भीतर हैं, १६३८ और १६४८