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पृष्ठ:दृश्य-दर्शन.djvu/९४

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मलावार

पर्वत इसी जिले के अन्तर्गत है। यहां चन्दन बहुत होता है । मलयाली शब्द मलयाचल या मलयाचलो का अपभ्रंश जान पड़ता है।

मलावार के दो भाग हैं; उत्तरी मलावार और दक्षिणी मलाबार। उत्तरी का सदर स्थान टेलिचरी है और दक्षिणी का कालीकट । पर जिले का सबसे बड़ा अधिकारी कालीकट ही में रहता है ! वह मैजिस्ट भी है; कलेकर भी है; और पोलिटिकल एजेंट भी है। कालीकट और टेलिचरी के सिवा पाल घाट, कनानूर, बेपुर और बड़गरा भी मलावार के मशहूर शहर हैं। पर इन सब में कालीकट ही सबसे बड़ा है। वह बन्दरगाह भी है ! वहां फौज भी रहती है और बन्दरगाह का एक अफसर भी रहता है। कालीकट जाने के दो मार्ग हैं। एक थल की राह से, दूसरा जल की राह से। थल की राह से जाने में कालीकट तक बराबर रेल मिलती है। जल की राह जाने से बम्बई में जहाज़ पर सवार होना पड़ता है और रत्नगिरी,कारवार,मंगलोर कनानूर और टेलीचरी होते हुए कालीकट जाना पड़ता है।

मलानार पहाड़ी देश है; पहाड़ी ही नहीं, जङ्गली भी है । समुद्र के किनारे किनारे पश्चिमी बाट-पर्वत, ३००० से लेकर ७००० फुट ऊँचा, बरावर चला गया है। वह बहुत ही निविड़ जङ्गल से व्याप्त है, जिसमें शेर, भालू, भेड़िये, हाथी और हिरन भरे पड़े हैं। इन जङ्गलों के भीतर, दूर दूर तक, समुद्र की खाड़ियों का जल भरा रहता है। मैदानों में भी जल की बहुत अधिकता है। कोटा, माही और पूर्णा इत्यादि नदियां भी इसी जिले को अपने पानी से तर किया करती हैं। पानी, जंगल और पहाड़ों से प्रायः कोई भी कोना इसका