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द्विवेदी जी के पत्र पं० कामताप्रसाद गुरु के नाम ४७ वेलेख भेजते थे, मैं पुरस्कार । कभी खानगीया निजी बातों के सम्बन्ध में एक अक्षर तक नहीं लिखा गया न उनसे, न मुझसे । मुझे उनका कुछ भी हाल मालूम नहीं। उनका वर्तमान पता तक ज्ञात नहीं। फिर भी यदि आप समझते हों कि मेरे लिखने से यागेश्वर का काम हो जायगा तो सिंह जी का पता लिखिए और जैसी चिट्ठी आप लिखना चाहते हों वैसी का मसविदा भी, अंगरेजी में। मैं उसीकी नकल आपको भेज दूंगा। आप ही उसे पोस्ट कर दें। मेरी दिमागी हालत दयनीय है। थोडी बहुत अंगरेजी जो जानता था वह भी भूल सी गई है। आवश्यक शब्द ही ढूँढ़े नहीं मिलते। इस कारण मसविदा मांगता हूँ। पं० कामता प्रसाद गुरू जी के नाम आपका म०प्र० द्विवेदी