पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६१८

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0 समूएल की एक अलंग निराले में उसे बात करने को ले गया और वहां उस की पांचवौं पसुली के तले यहां ले गादा कि चुह मर गया क्योंकि उम ने उस के भाई असहेल को मारा, २८। और उस के पीछे जब दाजद भुना बुह बोला कि मैं और मेरा राज्य परमेश्वर के बाग नेयिर के बेटे अविनयिर के लोह से सदा गिरीष हैं। २६ । वुह यूअब के सिर पर और उस के पिता के समस्त घराने पर होने और यूअब के घराने में एक भी ऐसा न हो जो प्रमेही अथवा कोढ़ी और जो लाठी टेक के न चले और तलवार से मारा न जाय और रोटी का अाधीन न हो॥ ३० । सेो यूशय और उसके भाई अबिरी ने अबि. नैयिर को दान किया क्योंकि उस ने उन के भाई अनहेल को जिबघून के बीच रण में मारा था। ३१ । और दाज ने यूनब को और उस के सारे साथियों को कहा कि अपने कपड़े फाड़ा और रार आला चार अविनयिर के आगे धागे विलाप करो और दाजद राजा श्राप अर्थी के पीछे पीछे गया ॥ ३२ । और उन्हो ने अबिनयिर को हवरून में गाड़ा और राजा अपना पूब्द उठा के अबिनयिर की समाधि पर रोया और सब लोग रोये ॥ ३३ । और राजा ने अबिनै यिर पर यो विलाप करके कहा कि अविनयिर मढ़ की नाई मूत्रा॥ ३४ । मेरे हाथ बंधे न घे नेरे पाओं में पैकड़ियां पड़ो न थौं तू यों गिरा जैसा कोई दु के संतान के हाथ में पड़के गिरता है तब उस पर सब के सब दोहरा के रोये। ३५ । और जब सब लोग आये और चाहा कि दाऊद को दिन रहते कुछ खिलावे दाजद ने किरिया खाके कहा कि यदि मैं सूर्य अस्त होने से आगे रोटी खाज अथवा कुछ चौखू तो ईश्वर मुक से ऐमा और इससे अधिक करे। ३६ । और सों ने सोचा और उन की दृष्टि में अच्छा लगा क्योंकि जो कुछ राजा करना था से सब को अच्छा लगता था। ३७। क्योंकि सब लोगों ने और सारे इसरारलियाँ ने उस दिन बूझा कि नैयिर के बेटे चविनयिर को मारना राजा की ओर से न था॥ ३८। और राजा ने अपने सेवकों से कहा कि क्या तुम जानते हो कि आज के दिन एक कुंअर और एक महाजन इसराएल में से गिर गया॥ ३९ । और मैं आज के दिन दुर्बल हं यद्यपि राज्याभिषिक्त