पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१०

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रास्ते चलते किसी सिन्दूर लगे पत्थर को सिर नवा देनेसे भी धर्म होता है। अगड़म बगड़म कोई खास श्लोक जिसे कोई भी पाखण्डी बता सकता है जाप करने से धर्म होता है। नहाने से धर्म होता है, नङ्गा बैठकर और मेंढक की तरह उछल कर चौके में जाकर खाने से धर्म होता है। रात को न खाने से धर्म होता है। हाथों से बाल नोच लेने से, गन्दा पानी पीने से, मलमूत्र जमीन में गाड़ देने से धर्म होता है। मनों घी और सामग्री को अग्नि में फूंक देने से भी धर्म होता है।

अरे अभागे मनुष्यो! ज़रा यह भी तो सोचो—धर्म आखिर क्या बला है। तुम उस के पंजे में क्यो फंसे हो? जातियों की जातियों का इस धर्म संघर्ष में नाश हो गया पर धर्म को मनुष्यों ने न पहचाना, बौद्धों ने सारी पृथ्वी को एक बार चरणों में झुकाया पीछे उन्होंने रक्त की नदियां बहाईं अन्त में नष्ट हुए। ईसाइयों ने भी मनुष्यों में हाहाकार मचाया। मुसलमानों ने शताब्दियों तक मनुष्यों को सुख की नींद न सोने दी। धर्म, मनुष्य जाति के हृदय पर पर्दा बना खड़ा है। पर मनुष्य उस से सचेत नहीं होता, सावधान नहीं होता।

ईसाइयों और मुसलमान के धर्म शास्त्र की चर्चा मैं छोड़ता हूँ। मेरी इस पुस्तक का सम्बन्ध केवल हिन्दुओं के धर्म से है, मैं हिन्दू-धर्म की पुस्तकों पर ही अधिकतर कुछ कहना चाहता हूँ। हिन्दुओं की धर्म पुस्तकों के मुख्य तीन विभाग हैं। प्रथम विभाग में वेद, उपनिषद् और सूत्रग्रन्थ, दूसरे विभाग में स्मृतियां और