सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/११४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।

(११४)


एक साधु एक सद् गृहस्थ के यहाँ आता जाता था। घर के लोग उसकी बहुत आवभगत करते थे। घर में एक जवान कारी लड़की थी। एक जबान आवारागर्द उसका भाई था। इस भाई को सोना बनाने की विधि सिखाने का उसने झांसा दिया और इसे इस बात पर राज़ी कर लिया कि वह उस पापी के पास अपनी बहिन को फुसलाकर ले आवे। लड़के ने ऐसा ही किया। पीछे जब लड़की के व्याह की चर्चा उठी तो साधु ने कहा—यह लड़की हमारे साथ बिगड़ चुकी है, इसका ब्याह नहीं हो सकता। लोग बदनामी के डर से बहुत डरे, अन्त में भाई की सहायता से वह उसे लेकर भाग गया और अन्त में पकड़ा गया।

पशुओं से स्त्रियों का मैथुन करने की आज्ञा भी एक अद्भुत और भयानक धर्म की आज्ञा है। अश्वमेध यज्ञ में यजमान की स्त्री को घोड़े से मैथुन कराना पड़ता था, कहा जाता है कि एक राजा की रानी इस भयानक कर्म करने से मर गई थी। बहुधा साधु महात्माओं को इस प्रकार के कुकर्म करते देखा जाता है।

यहाँ हम विस्तार भय से अधिक न लिखकर इस विषय को समाप्त करते हैं।