पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१२७

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होनेवाली पैशाचिक घटनाओं से अभ्यस्त जनता को भी चकित कर दिया है। वहाँ की अदालत में कमला नाम की चौदह वर्ष की लड़की ने अपनी करुण कहानी सुनाई है। लड़की का कहना है कि तीन-चार वर्ष पहिले हरिपदविश्वास नामक एक व्यक्ति के साथ उसका विवाह हुआ था। वह ससुराल ही में रहती थी। उसके पति के चार भाई और थे। वे सब अविवाहित थे। एक साल पहिले की बात है कि उसकी सास ने उससे अपने देवर ननीपद के साथ अवैध सहवास करने के लिये कहा। उसने स्वीकार नहीं किया। उसने बहुत हठ किया, पर वह न मानी। इसका फल यह हुआ कि सास-ससुर ने उसे मारना शुरू कर दिया? पाशविक व्यवहार की भी कोई सीमा होती है? कुछ भी हो, लड़की ने जब अपने पति से ये सब बातें कहीं तो वह क्रुद्ध हो अपने माता-पिता का साथ छोड़कर किसी दूसरे मकान में चला गया। पर फिर वापिस आकर उसके पति ने भी अपने माता-पिता की बात का समर्थन किया। तबसे उसका पति, सास, ससुर तथा देवर सबने मिलकर उसके ऊपर अत्याचार शुरू कर दिया। उसके हाथ-पाँव बाँधकर वे लोग उसे काँटेदार लकड़ी से पीटा करते थे, कभी-कभी पीठपर छुरी से मारते थे; कभी घर की छत से उसे नीचे लटकाकर उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया जाता था, ताकि रो न सके। एक दिन उसके देवर ननीपद के कहने पर उसकी सास ने पिसी हुई मिर्च बल पूर्वक उसके गुप्त अंग के भीतर डालदी। असह्य वेदना से वह छटपटाने लगी। लगातार तीन दिन तक