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पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१३४

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पैदा होने की तरकीबें, गंडे, ताबीज़, जन्त्र, मन्त्र, तन्त्र, साधु, पति को वश में करने की तरकीबें, एक दूसरे की निन्दा, कलह यही उनकी नित्यचर्या है।

वे प्रायः सब अपढ़ हैं। एक पढ़ी लिखी बहू है, उसकी उन सबके बीच में आफत है। बुढ़िया सबको हुक्म के ताबे रखना चाहती है, और पढ़ना लिखना भ्रष्टता का लक्षण समझती है।

सब स्त्रियां प्रायः रोगिणी हैं। दो बहुएं क्षय में मर गईं हैं। एक की प्रसूति में मृत्यु हुई है। जब वृद्धा से कहा गया कि आप लोगों को धूप और खुली हवा में रहना चाहिये और परिश्रम करना चाहिये। तब वृद्धा ने कुछ नाराजी के स्वर में कहा—खुली हवा, धूप और परिश्रम नीच जाति की स्त्रियाँ करती हैं या भले घर की बहू बेटियाँ।

जिस स्त्री को खाँसी और ज्वर है उसके दोनों फेफड़े क्षय रोग से आक्रान्त हैं। पर वह अपने बच्चे को दूध बराबर पिलाती है। बच्चा भी अत्यन्त कमज़ोर है वह रात भर रोया करता है। वह स्त्री अपना कष्ट भूल उसे रात भर गोद में लेकर हिलाती रहती है।

स्त्रियाँ और बच्चे इस घर में बराबर मरते ही रहते है पर और नये पैदा होते ही रहते हैं। यह सिलसिला बराबर जारी रहता है।

वे स्त्रियाँ इस गन्दे अन्धेरे घर में प्रसन्न हैं। उन्हे पतियों के प्रति शिकायत नहीं। वे खुली हवा में घूमना अधर्म समझती