पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/५१

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बहुत सी बात सुन कर अन्त में मैंने हंस कर कहा—ख़ैर यह तो हुआ। अब आप यह तो कहिये आपकी माता जी प्रसन्न हैं? और बहिनों का विवाह हुआ या नहीं?

योगीराज एकदम आकाश से गिरे। बोले, क्या आपका हमारा कुछ और भी परिचय है।

मैंने कहा—यार, क्यों पाखण्ड करते हो, अभी पं॰ भीमसेन जी के डण्डों के निशान पीठ पर होंगे। सुनते ही हंस पड़े, लिपट गये। और सब रोना रोया। माता मर गई। एक बहिन विवाह दी गई। दूसरी के विवाह की चिन्ता है। रुपये की फिक्र है। आदि २।

अन्धविश्वास के द्वारा बच्चों मे भूत प्रेत के कुसंस्कार भी जमा दिये जाते हैं। और वे सदैव डरपोक बने रहते हैं। एक वीर जो तोपों की गर्जना और बरसती गोलियों में निर्भय खड़े रहते थे और सेना के उच्च पदस्थ थे, रात को पेशाब करने जब उठते तो किसी सेवक को जगा कर साथ ले लेते थे।

एक पागल हमें देखने को मिला जो मौनी बाबा के नाम से प्रसिद्ध था। यह व्यक्ति एक बार किसी मन्त्र को जगाने मरघट में गया था। वहाँ धरती में एक कील ठोकी। दैव योग से वह कील उस के अंगरखे के पल्ले के साथ गड़ गई थी। जब वह उठकर चलने लगा। पल्ला कील में अटक ही रहा था। बस चिल्ला उठे, समझे भूत ने पकड़ लिया। बेतहाशा भागे। तब से मस्तिष्क में ऐसा विकार आया कि चुप हो गये। २५ वर्ष तक