बिताई-चरित' १४७ समधि में छिताई-चरित' प्रेम-काव्य होते हुए भी एतिहासिक महत्त्व से पूर्ण है। इसकी सारी प्रमुख घटनाएँ और व्यक्ति इतिहास के विवरण से मिलते हैं। कर्ता ने दूसरे कथाकारों से अपनी कथा में जहाँ जो अंश बढ़ाया है उसका स्पष्ट उल्लेख तक कर दिया है, जिससे रचनाकार की ईमानदारी का पता चलता है। इतिहास से जो कहीं कहीं विरोध दिखाई देता है वह लोक प्रचलित रूप के कारण । मूल में यह कथा पूर्ण- रूपेण सत्य है। यदि खुसरो की 'माशिका' सत्य मानकर इतिहास में जोड़ी जा सकती है तो छिताई की कथा क्यों नहीं ? हिंदी-काव्यों को कथाओं को कपोल-कल्पना मान लेने से मुसलमानी इतिहास में अधूरापन रह गया है। १- इसमें सर एच. इलियट तथा प्रोफेसर जान हाउसनकृत हिस्ट्री पाए इंडिया ऐज टोण्ड बाइ इट्स भोग हिस्टोरियंस नामक ग्रंथ के आधार पर ही मुसलमान इतिहासकारों का उस्लेख किया गया है।
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