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. समर्पण मेरे नवजीवन के निर्माता और प्रत्येक सफलता की पृष्ठ भूमि में स्वयं साक्षीमात्र दृष्टा के रूप में छिपकर रहनेवाले, प्रेरक शक्ति श्री सेठ किसनलालजी गोयनका को हिन्दी के अमर राष्ट्र-कवि की पाई तुम्ही . से वस्तु जो कैसे तुम्हें अर्पित करूँ ? परीक्षारूप में पुस्तक न यह आगे धरूं? पंक्तियों के - पर क्या साथ सादर, सप्रेम