पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/६४

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नारी समस्या भारत की कुछ स्त्रिया हाथ पैर सिर आदि विदेशी ढंग से सँवारकर भी उन्हें भारतीय साड़ी में हॉक लेती हैं। भारत का प्रधान वेष यही साड़ी है जिसे एंग्लो-इण्डियन स्त्रियों के सिवा और किन्ही ने नहीं छोड़ा । नाखूनों की कटाई के सिवा हाथों का श्रृंगार तो सभी भारतीय स्त्रिया करती हैं । नाखूनों की लाली मेंहदी के रूप में भारतीय है ही। चूड़िया भारत में सभी सौभाग्यवती स्त्रियाँ पहिनती हैं.। कुमारियों और विधवाओं को तथा कुछ लेडी डाक्टरों को छोड़कर शायद ही कोई स्त्रिया हों जो चूड़ियाँ न पहनती हों । देश में भाषा की तरह वेषभूषा में भी प्रान्त-भेद बहुत है । बंगाल में चौड़ी किनार की गहरी रंग की साड़ी, मांग में सिन्दूर, या हिंगूल, खुला सिर आदि विशेषतायें हैं । महाराष्ट्र में छोटी किनार की गहरे रंग की आठ नौगज़ी साड़ी स्त्रिया काछटा । लगाकर खुले सिर, पहनती हैं । गुजरात में सफेद छगज़ी साड़ी, सिर ढका; पंजाब में सिल्वार, कुरता, सिर पर डुपट्टा; यू० पी० में साड़ी, कुर्ती; मारवाड़ में घाघरा और ओढ़नी सिर पर बोर हाथों में लम्बा चूड़ा ( इसे तो वर्तमान में कुछ फेशनेबुल स्त्रियों ने भी लिया है ) गले में दो तीन गहने, कानों में अनेक बालिया, दातों पर चूप, कर्धनी आदि कई विशेषतायें हैं । कुछ वेष भूषायें संयुक्त भी हो गई हैं । मारवाड़ का घाघरा लहँगे के रूप में यू० पी० या गुजरात में भी है और परकर के रूप में महाराष्ट्रों में भी लड़कियाँ इसे पहिनती हैं । पंजाब, यू. पी. और गुजरात की सौभाग्यवती स्त्रिया भी सिर पर एक प्रकार का गहना पहिनती हैं | मुसलमान स्त्रिया भी सिल्वार के रूप में पायजामा, घाघरे के रूप में तिलक और सिर पर ओढ़नी लेती हैं । पर ये तिलक और ओढ़नी मारवाड़ी मुस्लिम महिलाओं में अधिक प्रचलित हैं। प्रायः मुस्लिम महिलाओं की वेषभूषा और बोली प्रान्त भेद के अनुसार ही भिन्न है । मारवाड़ी मुस्लिम स्त्रिया मारवाड़ी वोली और सिर के बोर के अतिरिक्त मारवाड़ी वेष में मिलती हैं । गुजरात की गुजराती बोली बोलती हैं और घाघरा या साड़ी पहिनती हैं । यू० पी० या पंजाब की मुस्लिम स्त्रिया पाजामा पहिनती हैं और पंजाबी स्त्रिया दुपट्टा अोढ़ती हैं। ये पंजाबी व अरवी फ़ारसीमिश्रित उर्दू बोलती हैं । महाराष्ट्र और बंगाल की मुस्लिम स्त्रिया साड़ी पहिनती हैं और बोली महाराष्ट्री व बंगाली प्रान्त भेद के अनुसार बोलती हैं । पर आजकल मुमलमानों का ध्यान उर्दू पर बहुत अधिक होने से वे उसे ही अपना रही हैं यद्यपि अशिक्षित मुस्लिम स्त्रिया अभी भी अधिकतर प्रान्त की भाषा ही बोलती हैं। बुकी सम्भव है अरब आदि देशों का हो । मुस्लिम महिलाओं में मारवाड़ को छोड़कर यह बुकी