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पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/३०३

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पुरानी हिंदी

यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि मूल दोहे में 'मुये पुत्र से क्या अवगुण' कहा गया है किंतु पोछे, स्त्री-जाति की ओर अपमानबुद्वि बढ़ जाने और उसका उत्तराधिकार न होने से 'धी (-पुत्री, संस्कृत दुहित, पंजाबी धी ) से क्या अवगुण' हा गया है। अस्तु । ऐसी दशा में जा पुरानी कविता या गद्य संस्कृत और प्राकृत के व्याकरण और छंद आदि के प्रथो में, बच गया है, वह पुराने वर्ण-विन्यास की रक्षा के साथ उस समय की भाषा का

वास्तव रूप दिखाता है।


हेमचंद्र को रचना नहीं, उससे पहले के हैं। उसने अपने व्याकरण में उदाहरण की तरह और बहुत-सो कविता के साथ दिए हैं। 'एहि ति घोड़ा०' की चर्चा यथास्थान होगी।