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अयोध्या

को काम में लाने के लिये जिहाद का झंडा खड़ा कर दिया और मार काट का हल्ला मचा दिया। बैरागियों और यवनों की कई छोटी छोटी लड़ाइयों के बाद मौलवी अमीर अली कई हजार मुसलमानों को साथ ले गढ़ी पर चढ़ दौड़े । बुद्धिमानों के मना करने पर भी न माने । अवध में जिहाद की धूम मच गई। गढ़ी की रक्षा के निमित्त हिंदू भी सचेष्ट हुए और इधर उन लोगों ने भी जोर पकड़ा, शाही फरमान को भी न माना । सूजागंज में लड़ाई हुई । कमियार के ठाकुर शेर- बहादुर सिंह ने मौलवी को खेत रखा और मुसलमानों को गढ़ लेना कठिन हो गया । तब से हनुमानगढ़ी अयोध्या का प्रधान स्थान हो रहा है।

हनुमानगढ़ी के ठीक सामने स्वर्गीय महाराज मानसिंह की धर्मपत्नी का बनवाया हुआ राजद्वार नाम का मंदिर है । चमत्कार में चाहे वह गढ़ी के तुल्य न हो पर ऊँचाई और सफाई में न्यून नहीं है । महारानी विमल कीर्ति का स्मारक है। अयोध्यानरेश नए स्थान बनवाने के साथ साथ यदि पुरानों पर भी कृपा किया करें तो उनका अधिक यश हो। यह मंदिर और गुप्तार घाट के स्थान महाराज की उपेक्षा से रोगग्रस्त के समान दंडायमान हैं । स्वर्गद्वार घाट एक प्रसिद्ध स्थान है। स्नान का बड़ा माहात्म्य है । इसी ओर बस्ती भी है। इधर से अयोध्या देखने में सुंदर लगती है, घाट पर की मंदिरमाला मानो अपने घरं भेद को गुप्त कर रही है और