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पृष्ठ:निबन्ध-नवनीत.djvu/४६

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(८)

अब तो पाप समझ गये न, कि माप क्या है ? अब भी म समझो तो हम नहीं कह सकते कि आप समझदारी के कल है। हां, भाप ही को उचित होगा कि दमडी छदाम की समझ फिसी पसारी के यहा से मोल ले आइए, फिर आपही समझने लगियेगा कि आप "को हैं ? कहां के हैं। कौन के हैं ? यदि यह भी न हो सके, और लेख पढ के आपे से बाहर हो जाइये तो हमारा क्या अपराध हैहम केवल जी में कर लेंगे "शाव! आप न समझो तो आपां को के पडी छ।" ऐं अब भी नहीं समझे ? वाह रे आप!