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अङ्क २]
[दृश्य १
न्याय

मामले में हमारी तरफ से पेश की गई है। मैं जानता हूँ कि जो गवाह पेश किए गए हैं उससे अगर आपके दिलमें यह यक़ीन न हो गया हो कि मुलज़िम ने यह काम केवल एक क्षणिक दुर्बलता के कारण किया है, और दरअसल उसको इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं कहा जा सकता तो मेरे कथन का भी कुछ असर आप पर नहीं पड़ेगा। उसके हृदय में जो भयानक उथल पुथल था, उसने उसकी मानसिक और नैतिक शक्तियों को ऐसा कुचल डाला कि उसे एक क्षणिक पागलपन कहा जा सकता है। मेरे मित्र ने कहा है मैंने इस मामले पर विलक्षणता का आवरण डालने की कोशिश की है। महोदय गण, मैंने ऐसी कोशिश नहीं की। मैंने केवल जीवन का वह आधार दिखाया है—अस्थिर जीवन का, जो प्रत्येक पाप का कारण होता है, चाहे मेरे मित्र उसकी कितनी हँसी क्यों न उड़ाएँ। महाशयगण, हम इस समय एक ऐसे सभ्य युग में पहुँच गए हैं कि किसी प्रकार के भीषण अत्याचार का दृश्य हमारे दिल पर एक खास असर डाले बिना नहीं रहता, चाहे हमारे साथ उस मामले का कुछ भी संबंध न हो। पर अगर हम ऐसा अत्याचार एक औरत पर होते देखें, और

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