पृष्ठ:न्याय.pdf/१६२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अङ्क ३]
[दृश्य १
न्याय

दारोग़ा

क्यों मिस्टर मिलर—दो तीन दिन में यह क्या हो गया है? सारे जेल की हवा बिगड़ी हुई है।

चेपलेन

मुझे तो कुछ नहीं मालूम।

दारोग़ा

ख़ैर, जाने दो। कल यहीं भोजन कीजिए न?

चेपलेन

बड़ा दिल है, अनेक धन्यवाद!

दारोग़ा

आदमियों की हलचल मुझे परेशान कर देती है।

[आरे को देखते हुए]

इस शैतान को भी सज़ा देनी पड़ेगी। जो भागने की कोशिश करता है उसपर सख़्ती करने का जी नहीं चाहता।

१५७