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अङ्क ३]
[दृश्य १
न्याय

कोकसन

[मानो कष्ट के साथ अपनी दृष्टि को क़ैदियों की ओर फेरकर]

मैं आपसे दो एक बात करना चाहता हूँ। मुझे अधिक देर लगेगी।

[धीरे से]

बात यह है कि मैं क़ायदे से तो यहाँ नहीं आ सकता। परन्तु उसकी बहन मेरे पास आई थी। बाप माँ तो कोई है ही नहीं। वह बहुत घबराई हुई थी। मुझसे बोली मेरे पति तो मुझे उससे मिलने जाने नहीं देते। कहते हैं उसने कुल में कलङ्क लगाया है। दूसरी बहन बिलकुल चलने फिरने से लाचार है। उसने मुझसे आने के लिए कहा मुझे भी उस युवक से प्रेम है। मेरा ही मातहत था। मैं भी उसी गिर्जे में जाया करता हूँ इसलिए मैं इनकार न कर सका।

दारोग़ा

लेकिन खेद है, उसे किसी से मिलने का हुकुम नहीं है। वह वहाँ केवल एक मास की काल कोठरी के लिए आया है।

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