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अङ्क ३]
[दृश्य १
न्याय

कोकसन

हाँ, लेकिन देखकर दुःख होता है, वह अभी बिलकुल युवक है। मैंने उससे कहा—"धीरज रक्खो!" हाँ, यही कहा था। "धीरज" उसने जवाब दिया। "एक दिन अपने को कमरे में बंद करके मेरी ही भाँति सोचिए और कलपिए तो मालूम हो। बाहर एक का दिन यहाँ के एक वर्ष के समान है। मैं क्या करूँ?" उसने फिर कहा मैं कोशिश करता हूँ, मिस्टर कोकसन, परन्तु अपनी आदत से लाचार हूँ।" फिर हाथों से मुँह ढाँप कर वह रोने लगा। मैंने देखा उँगलियों के बीच में से होकर आँसू टपक रहे थे। मैं तो तड़प उठा।

चैपलेन

वही युवक है न जिसकी आँखें कुछ अजीब तरह की हैं। चर्च आफ़ इँगलैंड का नहीं मालूम होता।

कोकसन

नहीं।

चैपलेन

जानता हूँ।

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