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अङ्क ३]
[दृश्य २
न्याय

दारोग़ा

इन्हीं महाशय ने आरी बनायी है न?

[जेब में से आरी निकालता है, वुडर कोठरी का दरवाज़ा खोलता है, क़ैदी सिर पर टोपी दिए बिछौने पर सीधा लेटा नज़र आता है। वह चौंक पड़ता है और कोठरी के बीच में खड़ा हो जाता है। वह दुबला आदमी है, उम्र छप्पन वर्ष की, कान चमगीदड़ के-से, डरावनी घूरती हुई और कठोर आखें हैं।]

वुडर

टोपी उतारो।

[मोनी टोपी उतारता है]

बाहर आओ।

[मोनी दरवाजे के पास आता है]

दारोग़ा

[उसे दालान में निकल आने का इशारा करके जेब में से आरी निकाल कर उसे दिखाते हुए इस ढंग से बोलता है जैसे कोई अफ़सर सिपाही से बात कर रहा हो।]

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