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अङ्क ३]
[दृश्य २
न्याय

दारोग़ा

क्या तुम्हें नींद नहीं आती?

फ़ाल्डर

बहुत थोड़ी। दो बजे और उठने के समय के बीच में दिल बहुत घबड़ाता है।

दारोग़ा

क्यों?

फ़ाल्डर

[उसके ओंठ फैल जाते हैं, जैसे मुसकिराता हो]

यह नहीं जानता। मैं कच्चे दिल का आदमी हूँ।

[अचानक वाचाल होकर]

उस समय सभी बातें मुझे भयानक मालूम होती हैं। कभी-कभी सोचता हूँ कि शायद मैं यहाँ से कभी बाहर नहीं निकलूँगा।

दारोग़ा

दोस्त यह वहम है। अपने को सँभालो।

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