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अङ्क चौथा

दृश्य १

दो साल गुज़र गए हैं। कोकसन का वही कमरा। मार्च का महीना है। दस बजने को दो मिनट बाक़ी है। दरवाज़े सब अच्छी तरह खुले हैं। स्वीडिल आफिस को ठीक कर रहा है। उसकी अब छोटी-छोटी मूछें निकल आई हैं। वह कोकसन के टेबिल को झाड़ पोछ रहा है। ढक्कनदार सिंगार मेज़ के पास जाता है और ढक्कन को खोलकर शीशे में अपना चेहरा देखता है। ठीक इसी समय रुथ हनीविल बाहर के दफ़्तर के भीतर से होकर आती है और दरवाज़े के पास खड़ी हो जाती है। उसके चेहरे पर आनंद के भाव झलक रहे हैं।

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