पृष्ठ:न्याय.pdf/२२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अङ्क ४]
[दृश्य १
न्याय

सकी। अब अगर वह मर रहा हो तो मैं उसके पास नहीं जाऊंगी।

कोकसन

[खड़ा होकर इस तरह कन्नी काटता है, मानो अग्निप्रवाह से बच रहा हो]

हमें इतना आपे से बाहर न होना चाहिए—क्यों?

रुथ

[क्रोध से]

जो आदमी ऐसा कमीना बर्ताव......

[सन्नाटा छा जाता है।]

कोकसन

[स्वभाव के विरुद्ध अनुरक्त होकर]

हाँ, तो फिर तुमने क्या किया?

रुथ

[सिहरकर]

पहिली बार उसे छोड़कर जो करती थी वही काम फिर शुरू किया। कमीज़ों की सिलाई सस्ती बेचनी पड़ती थी।

२१८