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अङ्क २]
[दृश्य १
न्याय

कि अभियुक्त ने यह काम क्यों किया। आप स्वयं उसके मुख से उसके जीवन की करुण-कथा और इससे भी करुण प्रेम-वृत्तान्त सुनेंगे, जो अभियुक्त के हृदय में उसने जागृति की थी। महाशय गण! वह और अपने पति के साथ बड़ी बुरी अवस्था में रहती है। पति बराबर उसके साथ अत्याचार करता है। यहाँ तक कि उस बेचारी को डर है कि वह उसे मार तक न डाले। इस समय मेरे कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि किसी नवयुवक के लिए किसी की विवाहिता स्त्री से प्रेम करना प्रशंसनीय या उचित है अथवा उसको यह अधिकार है कि वह उस स्त्री की उसके पिशाच पति से रक्षा करे। परन्तु हम सब को मालूम है, कि प्रेम आदमी से क्या क्या नहीं करा सकता। महोदयो! मैं आपसे कहता हूँ कि उस औरत का बयान सुनते समय आप इस बात पर ध्यान रखें, कि एक निर्दय और अत्याचारी व्यक्ति से विवाह होने के कारण वह उसके हाथ से छुटकारा नहीं पा सकती। क्योंकि विवाह-विच्छेद कराने के लिए मार पीट के सिवा किसी और दोष का दिखाना ज़रूरी है जो शायद उसके पति में नहीं है।

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