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काकोलूकीयम्] | [१६३ |
कर देता है। इसी तरह एक बार चोर ने ब्राह्मण के प्राण बचाये थे, और राक्षस ने चोर के हाथों ब्राह्मण के बैलों की चोरी को बचाया था।"
अरिमर्दन ने पूछा—"किस तरह?"
वक्रनास ने तब चोर और राक्षस की यह कहानी सुनाई—
काकोलूकीयम्] | [१६३ |
कर देता है। इसी तरह एक बार चोर ने ब्राह्मण के प्राण बचाये थे, और राक्षस ने चोर के हाथों ब्राह्मण के बैलों की चोरी को बचाया था।"
अरिमर्दन ने पूछा—"किस तरह?"
वक्रनास ने तब चोर और राक्षस की यह कहानी सुनाई—