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मित्रभेद]
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उस दिन के बाद कौवा-कौवी की सन्तान को किसी साँप ने नहीं खाया। तभी मैं कहता हूँ कि उपाय से ही शत्रु को वश में करना चाहिये।

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दमनक ने फिर कहा—"सच तो यह है कि बुद्धि का स्थान बल से बहुत ऊँचा है। जिसके पास बुद्धि है, वही बली है। बुद्धिहीन का बल भी व्यर्थ है। बुद्धिमान निर्बुद्धि को उसी तरह हरा देते हैं जैसे खरगोश ने शेर को हरा दिया था।

करटक ने पूछा—"कैसे?"

दमनक ने तब 'शेर-खरगोश की कथा' सुनाई—