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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१६५

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122 PAUMACARIU Colophon of the 17. Sandhi: 10. इय चारु-पउमचरिए, घणञ्जयासिय-सयम्भुएव-कए। जाणहरावणविजयं सत्तारहम इमं पब्वं॥ 1 Colophon of the 18. Sandhi: 11. इय रामएवचरिए धणजयामिय-सयम्भुएव-कए। 'पवणञ्जणाविवाहो' अट्ठारहम इमं पव्वं ॥ Colophon of the 20. Sandhi: 12. इय 'विज्जाहरकण्डं' वीसहि आसासएहि मे मिट्ठ। एहि 'उज्झाकण्ड' साहिज्जन्तं णिसामेह ॥ 18. धुअरायधोव तइलुम पणत्ति पत्ती सुयाणु पाढेण(?) । णामेण सामिअव्वा सयम्भु-घरिणी महासत्ता॥ 14. तीए लिहावियमिणं बीसहिं आसासएहि पडिवढं। 'सिरि-विज्जाहर-कण्डं' कण्डं पिव कामएवस्स ।। Colophon of the 42. Sandhi: 15. अउज्झा-कण्डं समत्तं । आइच्चुएवि-पडिमोवमाएँ आइच्चम्वि (य णा)माए। वीअमउज्झा-कण्डं सयम्भु-घरिणी' लेहवियं ॥ Colophon of the 56. Sandhi: 18. सुन्दर-कण्डं समत्तं । Colophon of the 77. Sandhi: 17. जुज्झकण्डं समाप्तं ॥ उत्तरकाण्डं आरभ्यते॥ सिरि-मुणि सुब्वय-तित्यं णमामि ॥ जुज्झकण्डं णिसामेह ।। Colophon of the 78. Sandhi: 18. जुज्झकण्डं समत्तं ॥ ज्येष्ठ वदि १ सोमे।। Colophon of the 83. Sandhi: 19. इय पउमचरिय-सेसे सयम्भुएवस्स कह-वि उव्वरिए। तिहुवण-सयम्भु-रइयं समाणियं सीय-दीव-पम्वमिणं।। 20. वन्दइआसिय-तिहुअण-सयम्भु-कइ-कहिय-पोमचरियस्स। सेसे भुवण-पगासे तेमासीमो इमो सग्गो॥ 21. कइरायस्स विजय-सेमियस्स वित्यारिओ जसो भुवणे । तिहुमण-सयम्भुणा पोमचरिय-सेसेण णिस्सेसो । Colophon of the 84. Sandhi: 22. इय पउमचरिय-सेसे सयम्भुएवस्स कह-वि उव्यरिए। तिहुमण-सयम्भु-रइए स-परियण-हलीस-भव-कहणं । 28. इय रामएक्-चरिए वन्दइ-आसिय-सयम्भु-सुक-रइए । हयण-मण-सुह-जणणो चउरासीमो इमो सम्गो॥