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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२०३

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80 PAUMACA BIU 419 णास सवणे। 1996. 419 नक्षत्र श्रवणः । 17.364 VP. समणो चिय नक्खतं । 17 107 420 रयणि पच्छिम-पहरडे 420 अर्धयामावशेषायो रजन्यामद्य विऍ xxx उप्पण्णु सुर। 19 9 5-6. बालकः प्रजातः। 17 361 VP. रयणीए अजपच्छिमे जामे वरदारयं पसूया। 17 101 421 अणसुन्दरि णामेण इमxxx 421 सुता महेन्द्रराजस्य नामतः प्रथिताजना। महिन्दु नेण जणिय। 19 10 2-3. 17 335 VP. महिन्दनिवधूया नामेण अक्षणा । 17 97 422 पवणायहाँ परिणि । 19 104. 422 पत्नी पवनवेगस्य । 17 336 VP.महिला पवणजयभडस्स 1797 423 पमणह वाहम्भ-मरिय-णयणु। 19 10 5. 423 पतबाष्पनयनस्तमवादयत् । 17 347 424 पडिसूरु हणूरुह-राउलउ । 19 10 7. 424 प्रतिसूर्योऽहं द्वीपे हनूरुहाभिधे। 17 346 425 पडीवउ लदु णिहि । 19 11 6. 425 प्रदर्य रत्नसंपूर्ण निधानं हरता। 17 389 426 णिय-पुह पहसारैवि परवरण, 426 (a) प्रतिसूर्यो निज स्थानम् । 17 899 जम्मोच्छड किड पटिदिणयरेण ॥ 19 11 7. (b) स विवेश पुरम् । 17 400 (c) तत्र जन्मोत्सवस्तस्य xxx विद्याधरैः कृतः। 17 401 VP. पवेसिओ हणुरुहं नयर। 17 118 (d) जम्मूसवो तस्स महन्तो कओ खेयरेहि। 17 119 427 सिरिसाइलु सिलायलु घुण्णु णिउ। 427 शैलं चाचूर्णयत्ततः श्रीशैल इति। 17 402 19 11 8. VP. सेलो आचुण्णिओ xxx तेणं चिय सिरिसेलो नाम xxxकयं। 17 120 428 हणुहह-दीवे पवडियउ, 428 (a) पुरे हनूरुहे यस्माज्जातः संस्कारमाप्तवान् हशुवन्तु णामु ते तासु किड। 19118 हनुमानिति तेनागात् प्रसिद्धिम् । 17 403 (b) नामास्य चके। 17 402 VP. (c) हणरुहनयरम्मि जहा सकारो पावित्रओ xxx हणुओत्ति तेण नाम 17 121 (c) हणुरुहपुरे जेणं संवडिओ xxx हणुओ ति त्तेण नाम। 1851 429 लर-दूसण मेल्लावेप्पिणु, 429 (a) प्रविष्टश्च पुरम् । 186 वरुणहाँ रावणहों वि सन्धि करेप्पिणु । (b) गृहमेतत्तया शुन्यम् । 18 13 19 121 VP. पविसरद निययनयरं । 18 5 430 णिय-णयह पईसह । 430 समं मित्रेण । 18 15 णीसुण्णु ताम णिय-परिणि-घह । 19 12 2 431 बसेहि परिवरित । 431 भूतरवाभिख्यं वनं प्राप्य । 18 48 VP. भूयरवं नाम वणं संपत्तो। 1820 432 काणणु पासरह पिसायरड । 19 13 2 432 गजेन्द्र त्वंxx VP. तं खमसु मजल गयवर । 18 22 433 सयलु समेबहि कुम्मि महु । 433 सुकृतज्ञोऽसी खामिवात्सल्यदक्षिणः 19 14 4. न मुमोचान्तिकम् । 1853. पराभवम् 1851