पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२४१

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5 91 २८ पउमचरित [क०६,५-११७७,१-९ पोक्खरिणिउँ णव पङ्कय सरवर दीहिय वावि तलाय लयाहरॆ ॥५ तहि" अइरावणे गलगजन्तऍ दीहर-कर-सिक्कार मुंअन्तएँ ॥६ विजिजन्तु चमर-परिवाडिहिँ सत्तावीसाहँ अच्छर-कोडिहिँ ।। ७ चडिउ पुरन्दर मणे परिओसें" जय-मङ्गल-दुन्दुहि-णिग्घोसें ॥८ वन्दिणे-फम्फावहिँ पढन्तेहि कट्ठियवालेंहिं ढोउ ण दिन्तेहिं ॥ ९ इन्दहों तणिय रिद्धि अवलोऍवि के वि विसूरिय विमुहा होऍवि ॥ १० ॥ घत्ता॥ 'मल-धरण तव-चरण के दिवु 'भरहे" करेसहुँ । जण-वलहु इन्दत्तणु पावेसहुँ' ॥११ [७] ताम सुरासुर-चाहण. फलइँ व मग्ग-दुमहों तण। जिणवर-पुण्ण-वाय-हय हेट्ठामुहइँ समागयइँ ॥१ अवरोप्परूँ चूरन्त महाइय गिरि-मणुसोत्तरी-सिहरु पराइयं ॥ २ णिय-करें" "खचेवि भणइ पुरन्दरु 'उच्चासण-आरुहणु असुन्दरु ।। ३ " जाई विउवण-सत्तिऍ" हूय." तुरिउँ ताइँ आमेलहुँ रूअई ॥४ थिय देवासुर इन्दाएसें सबै पडीवा तेण जि वेसें ॥५ णाणा-जाण-विमाणेहि तेत्त' ढुक्कु समोसरणे जिणु जेत्तहें ॥ ६ सयल वि +रोणाविय-मत्था सयल वि कर-मउलञ्जलि-हत्या ॥ ७ सयल वि जयजयकार करन्ता सयल विथोत्त-सयाइँ पढन्ता ॥८ ७ सयल वि अप्पाणउ दरिसन्ता णामु गोत्तु णिय-णिलउ कहन्ता ॥९ 15 " पोकवर्गणउ, Am. 16A मणोर. 17 : नहि. 185 गजंतइ. 19 : 'सुयंत, A °मयता. (0 पब डिटि बाहि इ. :'1 परितोनि, A परिओसे. 2.25 °दुंदुहिं. णिग्धोसिं.235 वंदग' कफ वे "फकावे दि.55 पढ़तिहि.26 कठिय- कंठियवारहि. । कदिवालिहि. 27 न दिनहि, Sण दितहिं, A न दितिहिं. 28 178 अबलोयवि. 2) P होयवि, 3 होइवि. 30 P5 दिउ. 31s भरहु. 32 PS करेसहु. 33 s जिं. 34 3' : पावेसहु. 7. 1PS ताव. 5 °साहणई, फलइ. 3 5 °दुम्महो. 4 $ हरई. 5 Pणं हेट्ठामुहई, णं हेहामुहइ. 6 5 अवरपरु. 7 S महाइया. 8A °मणुसुत्तर. 9 : पराइया. 10 A करि. 11 5 खंधेवि. 12 भण;. 13 This half is missing in s. 14 PS उचासणु. 150 जाइ. 1GPS °सत्तिय. 17 PS भूयइं. 18 P तुरिअउ, तुरियउ. 19 P अमेल्लहु, s अमिल्लहु. 20 ' S रूयइ. 21 A पुणु with सन्ध superscribed. 22 s सिं. 23 P°विवाणहि, 3 विमाणहि.24 P तेत्तिहि, s तेत्तहिं. 25 P जेत्तहो, s जेत्तहिं 26 s दूरे. 27 जयजयकार. 28 missing in s. 29 1 °सयाइ. 30 A अप्पाणउं. २ साधर्मेन्द्रः. ३ के दिवसं भविष्यति. ४ भरतक्षेत्रे. वालहि, S