पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२७६

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क०२, १-९,३,१-९] सत्तमो संधि ६३ णिय-णिय-थाणेहिं णिवद्ध मञ्च आरूढ सब मञ्चेसु तेसु परिभमिर-भमर-झङ्कारिएK रविकन्त-कन्ति-उज्जालिएसु मञ्चेसु तेसु थिय पहु चडेवि भूसन्ति सरीर वारवार सुन्दर सच्छायें विकणय-डोर गायन्ति हसन्ति पुणासणथ [२] महकवि-कवालाव व सु-सञ्च ॥ १ चामियर-गत्त-मणि-भूसिएसु ॥ २ णिविडायवत्त-अन्धारिएK ॥ ३ आलार्वणि-सद्द-वमालिएसु ॥ ४ वम्मह-णड णाडिजन्ति(?) के वि ॥५ कण्ठाई मुअंन्ति लयन्ति हार ॥ ६ अलिय" जि घिवन्ति भणेवि थोर ॥७ अङ्गई मोडन्ति क्लैन्ति हत्थें ॥ ८ ॥ घत्ता॥ थिय सम्मुह वरइत्त किह। आयएँ आसऍ" समय जिंह ॥९ 10 स-पसाहण सब 'किर होसइ सिद्धि" 15 20 सिरिमाल ताम करिणिहें वलग्ग णं विर्जु महा-घण-कोडि-लग्ग ॥१ सयलाहरणालङ्करिय-देहं णं णहें उम्मिल्लियं चन्द-लेह ॥ २ अग्गिम-गणियारिहें चडियं धाइ णिसि-पुरउ परिट्ठिय सञ्झ णाइ ॥ ३ दरिसाविउँ णर-णिउरुम्वु तीऍ णं वण-सिरि तरुवर महुयरीऍ ॥४ उहु सुन्दरि चन्दाणण-कुमारु उग्घाउँ ऊहु रणे दुण्णिवार ॥५ उहु विजयसीहु रिउ-पलय-कालु रहणेउर-पुरवर-सामिसालु ॥ ६ सयल वि णरवर वञ्चन्ति जाइ अवरागम सम्मादिढि णाई ॥ ७ पुर उज्जोवन्तिय दीवि जेम पच्छई अन्धारु करन्ति तेम ॥८ णं सिद्धि कु-मुणिवर परिहरन्ति दुग्गन्धं रुक्खं णं भमर-पन्ति ॥९ 2. 15 °थाणेहि.2 चामीयरग्ग. 3 5 भूसियेसु. 4 5 झंकारियेसु. 55 °अंधारियेसु. 6 5 °उजालियेसु.7 PS आलावणि . 8 A मंचंसु. 91' वम्महं. 10 PS A सरीरइ. 11 ? कंठाए. 12 P सुपंति, S मुयंति. 18 ' लएत्ति. 14 A सच्छाविय. 15 1 5 अलिउ. 168 पुणोवि ससस्थ, A पुणोसणस्थ. 17 PS A अंगइ. 18 s चलंति. 19 A हस्था. 20 17s थिअ. 21 PS किहा. 225 सि. 235 आयइ. 24 मासप. 255 जिहा. . 3. 1 PS ताव. 2 8 A करिणिहि. SA विज. 4 A देहा. 5 P उम्मेलिअ, 5 उम्भि. लिय. 6 8 चडिया. 7 8 दरिसावि व पुण णिउरुंचु. 8 P उघाउ ऊहु, । उहुघाउ ऊहु. सम्माइद्वि. 10s गाइ. 11 This whole line missing in A. 12 P पच्छा. 13A दुग्गंधि. 14 P रुक्खु, A रुक्खे. [२] १ अनया सह-दर्शनाशा-सिद्धिर्भवति. २ षड्दर्शनानि च. [३] १ तया.