पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२८१

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६८ पउमवरिउ [क०११, १-९, १२, १-८ तेहिं ताउ [११] उच्छुरउ ताम उप्पण्णु पुत्तु ॥ १ वाहुवलि जेम भरहेसरासु ॥२ सिरिमालि-सुमालि-सुमल्लवन्त ॥ ३ 'कि ण जाहुँ जेत्थु किक्किन्धराउ' ॥४ 'थिर्य दादुप्पाडिय सप्पु जेम ॥ ५ चउपामिउ वइंरिहुँ तणिय सङ्क ॥६ एत्तियइँ जाम रजन्तराइँ ॥ ७ महु तणएँ "सीमें अवहरिय णवर' ॥ ८ महु-महिहरो वि किक्किन्धु वुत्तु अण्णु वि सूरर कणिट्ठ तासु एत्तहे वि सुकेसहा तिणि पुत्त पोढत्तणे वुच्चई तं सुणेवि जणेरें वुत्तु एम कहिँ जाहुँ मुऍवि पायाललङ्क घणवाहण-पमुंह णिरन्तराई अणुहूय लङ्क कामिणि व पवर 5 ॥ घत्ता ॥ 10 15 तं वयणु सुणेवि मालि पलित्तुं दवग्गि जिह । 'उद्धद्धऍ रजे णिविसु वि जिजइ ताय किह ॥ ९ [१२] महु कहिय भडारा पइँ जि णित्ति तिह जीवहि जिह परिभमई कित्ति ॥ १ तिह हसु जिह ण हसिजई जणेण तिहं भुञ्ज जिह ण मुच्चहि धणेण ॥२ तिह जुज्झु जिह णिव्वुइ जणई अङ्ग तिह तर्जु जिह पुणु वि ण होई मङ्गु ॥ ३ तिह च जिह वुच्चई साहु साहु तिह संचरु जिह सयणहँ ण डाहु ॥४ तिह सुणु जिह णिवसहि गुरुहुँ पासें तिह मरु जिह णावहि गब्भवासें ॥५ तिह तउ करें जिह परितवइ गत्तुं तिह रज्जु पालें जिह गवई सत्तु ॥ ६ 10 "किं जीएं रिउ-आसङ्किएण किं पुरिसें माण-कलङ्किएण ॥७ किं दबें" दाण-विवजिएण किं पुत्ते' मइलइ वंसु जेण ॥ ८ 1 11. 15 उच्छरउ. ताव.:: सूरड. 4 15 सुमलवत्त. 55 किर, A कि न. 6 P: जाहु जिस्थु. 7 1 मुणिांचे. 8 जणरे... 18 थिअ. 10 A जाहु. [li illogible. 12 : वहरिहि. 150 पहुइ. 14 1' पत्तियइ, णत्तियइ. 15 s illegible. 16 5 तणइ. 17PS सीमि. 18 पवुत्त. 12) A उद्धए. 12. ।' पई जि भडारा कहिय. तहि. 3 A परिभमई. 4 P हसिजहिं. 5A तिहिं. 6 17 : मुच्चइ, A मुच्चहिं. 7 जुज. 8 1 जणई. 05 तजु, 10 s illegible. 1] ।' बच्चु. 12 ' वुचर्हि, : illegilble', A वञ्चहिं. 13 : न. 11 गुरुहु. 15 पासि. 16 PS णावहिं. 17 A करि. 18 s रत्त. 1) A नभई. 20th and hare transposed in A. 1 r a fož, s illegille. 22. 1. 20) 1 Faraficow. 2.1 A gì. [११] १ मधुगिरेः किक्किन्ध-नाम स्थापितम्. २ इक्षुरवः. ३ सूर्यरवः. ४ माल्यवन्तः (१). ५ विनष्टे.