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पत्थर-युग के दो बुत
पत्थर-युग के दो बुत समझ जाएगा कि आज के सभ्य समाज में विवाह की जो परिपाटी अव तक चली ग्राती रही है वह असभ्य-वर्वर सामन्ती युग की परिपाटी का ही एक बडित रूप था, जो शारीरिक एव मानसिक दोनो ही घरातलो पर सर्वथा असफल रहा। १४७