पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१८१

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के दो वुत । आवश्यक है कि शरीर और मन मे पूरी स्फूर्ति हो। मैंने इटकर स्नान किया है, कपडे वदले हैं। ठीक-ठीक शरीर-विन्यास किया है । और मैं हमता हुमा रेखा के साथ चाय पी रहा हू पिक्चर देखने का मैंने ही प्रस्ताव किया है रेखा भीता-चकिता हरिणी की भाति चौकन्नी है। उनकी मनोदगा देखकर दु ख होता है। भला मेरे रहते रेवा की यह हालत । परन्तु अफ- सोस, आज तो वह मुझी से डरी हुई है। पति-जिमके अंक में स्त्री नमार के सभी भयो से निर्भय और सभी प्रानन्दो से भरपूर रहती है ना रेशा उसी पति से भयभीत है । न मैं उसे ढाढस दे सकता ह~~ौर न ही मुझ से अभय माग सकती है। उसकी दशा तो उन पगु के समान है नियमान हो गया हो कि अभी उसका वध होनेवाला है। रितनी गाग : उसकी दृष्टि । देखी नही जाती। कलेजा मुह पो पा रहा ।। शायद उसके मन मे पश्चात्ताप का उदय दया है। पर ग्रमी र विगडा कुछ भी नहीं है, यदि वह पश्चात्ताप पर, यदि वह कितनी अमल-धवल शतधौत कमल के समान उज्ज्वल हो । प्रार फडक रहे है। उच्छिप्ट-अभागे अधर। वह मुन पनि न नी दार दान सकोच से बात करती है-विलकुल जैते पराई हो । काश कि फिर वे दिन लौट पाते । काग निमाज पाई गतान कह दे-अरे दत्त, वह सब तो सपन की बात की। यह तेरी या ना ती है-वैसी ही है। इसे अक मे भर । दसरा चन्दन ने। पितु पंग ग्रान वातो मे क्या रखा है चाय खत्म हो गई है । और हम लोग पिक्चर देवनगद है। इन वहुत खुश है। हा, प्रद्युम्न की बात तो न्ह जाती है। प्रदान किया है ? क्या मेरा है ? कौन जान | पचली तोता का नरामा तो वेटे नी विश्वननीय नहीं रह जाए। पन्निनोनी पनिटला - जाएगी। समाज ने, कानून ने लिया ती उदन-बदन गेही दीर तो । अव तो ननार के नव पुत्र नदिग्ध हा मा पवित्रा प्यार गौर विश्वास ने वचित होन नापिना न :- 1 7 ?