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पत्थर-युग के दो बुत
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पत्थर-युग के दो वुत ? और जीवन की सीधी-सरल राह--सहस्राब्दियो से समाज के नियन्ना मनीपियो ने जिनका निर्माण किया था-छोडकर मैं कटीली झाडियो न भटक गई। कोन अव मुझे राह दिखाएगा? कौन मुझे नीधी राह पर लाएगा? कौन मेरा हितू है ? कौन मेरा सहायक है ? अरे, मैं नो वुद ही अपनी दुश्मन बन गई। मैंने अपने ही हाथ से अपनी राह मे कुए बोद लिए। भोजन मे रेत मिला लिया, अधकार जीवन को अपने में समेटता- सा आ रहा है, भगवान् ही जानता है कि अजाम क्या होगा ।