पृष्ठ:पदुमावति.djvu/५२८

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४२२ पदुमावति । २० । बसंत-खंड । पास कोइ सिंगार-हार तेहि पाँहा। कोड सेक्ती कदम कि छाँहा ॥ कोइ चंदन फूलहिँ जनु फूलौं। कोइ अजान बौरउ तर भूलौं । दोहा। ( कोइ) फूल पाउ कोइ पातौ जेहि क हाथ जो आँट । (कोइ सो ) हार चौर उरझाना जहाँ छुअइ तहँ काँट ॥ १६३ ॥ बौनहि = बौन [वेण (वेनू) गतिज्ञानचिन्तानिशामनवादित्रग्रहणेषु, वेणते, वेणति, वा वेनते, वेनति] का बहु-वचन । सहेली = सहचरी = सखी। श्रास = श्राशा = दिशा पार्श्व= निकट = नगौच । बेली = वल्ली = लता। केवरा = केवडा= कैरव = एक प्रकार का कुमुद। चाँप = चाम्पेय = केसर (चाम्पेयः केसरो नाग केसरः काञ्चनाहयः, अमरकोशे वनौषधिवर्ग श्लो० ४ १३)। नेवारी= नवमालिका वसन्त का एक श्वेत-पुष्य (सप्तला नवमालिका, अमरकोशे वनौषधिवर्ग लो० ४ २ ० )। केतकि = केतकी = प्रसिद्ध पुष्य । मालति = मालती प्रसिद्ध पुष्प (सुमना मालती जातिः अमरकोशे वनौषधिवर्ग लो० ४ २ ० )। फुलवारी = फुल्लवाटिका। मतिवर्ग = जिस में सैकडौँ पत्तियाँ हाँ = हजारा गेंदा (६० वाँ दोहा देखो)। कूँद = कुन्द (मुकुन्दः कुन्दकुन्दुरू, अमरकोशे वनौषधिवर्ग मो० ४६७) = एक प्रसिद्ध पुष्य । करना = एक प्रकार का निम्बू जिस का फूल सुगन्धित होता है। (३५ वाँ और ६० वाँ दोहा देखो)। चव इलि = चमेली = एक प्रसिद्ध पुष्य। नगेसरि = नागकेसर (नागकेसरः काञ्चनाहयः अमरकोशे वनौषधिवर्ग श्लो० ४२०)। बरना = पुष्प-विशेष = वरण: (वरुणो वरणः सेतु स्तिक्तशाकः कुमारकः, अमरकोशे वनौषधिवर्ग लो। ३ ७३ )। गुलाल = गुलालौ-रंग का गुलाब (६० वाँ दोहा देखो)। सुदरसन == सुदर्शन = एक लता जिस के पत्ते चौडे होते हैं। कूजा एक प्रकार का गुलाब । सोनिजरद = सोनजर्द, जिस का सोने-सा पौला फूल होता है (६० वाँ दोहा देखो)। पूजा = पूज्य = पूजा के योग्य । मउलसिरि = मौलसिरी मौसिरी= मुक्ताकेसर = वकुल । पुहुप = पुष्य = फूल । बकरी = बकावली गुल बकावली। रूपमाँजरि = रूपमञ्जरौ = एक प्रसिद्ध पुष्प। गउरी गौरौ = श्वेतमल्लिका। सिंगार-हार = हर-फ्टङ्गार = पारिजात । पाँहा = पार्श्व = पास । सेवती = एक प्रसिद्ध पुष्य । कदम = कदम्ब । चंदन = चन्दन । फूलहिँ = फूलों से। अजान = अज्ञान = अज्ञात बौरउ = वीरुध = विरवा = वृक्ष । तर = तल = नीचे ॥