पृष्ठ:पदुमावति.djvu/५४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४४० पदुमावति । २० । बसंत-खंड । [२०२ - - सो = वह । मंदिर = मन्दिर = घर। पईठी= पैठौ = पठद (प्रविशति ) का भूत-काल में स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन । हंसत= हँसती हुई = हसन्ती। सिंघासन = सिंहासन । जादू = जा कर = संयाय । बईठी = बैठी = बठद् (उपविशति) का भूत-काल में स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन। निसि = निशि= रात्रि में। सूती सूतद (शेते) का भूत-काल में स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन । सुनि = सुन कर (श्रुत्वा)। कथा = कहानी। बिहारी विहारी= विहार की सैर कौ। भा = भया = हुश्रा = (बभूव) । बिहान सबेरा व्यह = भोर । सखी = प्रिय-सखी, जिस से भली बुरी बात कहने में सङ्कोच न हो। हकारी = हँकार (हु-कारयति) का भूत-काल में स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन। देवा = देव। पूजि पूज कर ( पूजयित्वा )। जस = जैसेही= यथा । आउँ= श्राई = श्रावदू (आयाति) का भूत-काल में स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन । काली = कल = कल्यम् । सपन = खप्न = सपना। देखउँ= देखा =देखडू का भूत-काल । पाली = सखी। जनु = जानौँ =जाने । समि= शशि = उदय । पुरुब = पूर्व । दिसि = दिशा। लीन्हा = लेद (लाति) का भूत-काल । रवि= रवि = सूर्य । पछिउँ = पश्चिम । कीन्हा = कर (करोति) का भूत-काल । पुनि = पुनः = फिर । चलि -चल कर = (चलित्वा)। सूर = सूर्य । चाँद = चन्द्र । अावा = श्रावद (आयाति) का भूत-काल में एक-वचन । सुरुज = सूर्य । दुहुँ = दोनों में= दयोईि। भण्उ = भया = हुआ (बभूव) । मरावा = मिलाप मेलाप = भेंट। राति =रात्रि । एका = एक । राम = अयोध्या के प्रसिद्ध राजा, दशरथ के पुत्त्र । रात्रोन = रावण । गढ = गाढ = दुर्ग = किला। राधान-गढ = रावण का गढ लका । बैंका = कद (शकि शङ्कायाम् से पिजन्त, शङ्कयति) का भूत-काल । तम = तथा = तैसा। किछु = किञ्चत् = कुछ। कहा न जाण = कहा नहीं जाता। निखेधा निखेध (निषेधयति) का भूत-काल । अरजुन = अर्जुन युधिष्ठिर का तीसरा भाई, अंश । बान =वाण। राहुराहु के (म (मर्प के) आकार का एक लक्ष्य (निशाना ) । गा = गया ( अगात् )। बेधा = विद्ध = बिध ॥ जनउँ जानौँ = जाने । लंक = लङ्का । लूसी = लुट गई (लूष हिंसायाम्, चुरादि)। इनू = हनूमान् । बिधाँसी = विधंसो = विधंसद् (विध्वंसयति ) का भूत-काल। बारि वाटिका । वा बारि =बार कर जला कर । जागि = जाग कर =जाग्रित हो कर। उठउँ= उठी-उठद् (उत्तिष्ठते) का भूत-काल में स्त्रीलिङ्ग का उत्तम-पुरुष मैं एक- वचन । मखि = हे सखि । कई = कह (कथय)। बिचारि विचार कर (विचार्य) ॥ इन्द्र का